एक बार एक राजा नगर भ्रमण को गया, तो रास्ते में उसने देखा कि एक छोटा बच्चा मिट्टी के खिलौनो के कान में कुछ कहता, फिर उन्हें तोड़ देता और खिलौनों को मिट्टी में मिलाने की कोशिश करता।
राजा को बड़ा अचरज हुआ। उसने बच्चे से पूछा-‘तुम ये सब क्या कर रहे हो?’
बच्चे ने जवाब दिया, ‘मैं इनसे पूछता हूं कि कभी राम नाम जपा ? और माटी को माटी में मिला रहा हूं।’ बच्चे के मुंह से ऐसी ज्ञान की बात सुनकर राजा ने उससे पूछा- ‘तुम मेरे साथ मेरे राजमहल में रहोगे?’
बच्चे ने कहा कि जरुर रहूंगा, पर मेरी चार शर्त है।
1 जब मैं सोऊं तब तुम्हें जागना पड़ेगा।
2 मैं भोजन करूं, तो तुम्हें भूखा रहना पड़ेगा।
3 मैं कपड़े पहन कर रहूंगा, मगर तुम्हें नग्न रहना होगा।
4 और जब मैं कभी मुसीबत में पड़ जाऊं, तो तुम्हें अपने सारे काम छोड़ कर मेरे पास आना पड़ेगा।
राजा ने कहा कि ये तो असम्भव है, तब बच्चे ने कहा, ‘राजन, तब मैं उस परमात्मा का आसरा छोड़ कर आपके आसरे क्यों चलूं, जो खुद नग्न रह कर मुझे पहनाता है…खुद भूखा रह कर मुझे खिलाता है…खुद जागता है और मैं निश्चिंत सोता हूं…और जब मैं किसी मुश्किल में होता हूं, तो वह बिना बुलाए मेरे लिए अपने सारे काम छोड़ कर दौड़ा आता है।’
मित्रों, भाव केवल इतना ही है कि हम लोग सब कुछ जानते-समझते हुए भी बेकार के विषय-विकारों में उलझ कर परमात्मा को भुलाए बैठे हैं, जो सृष्टि के हर कण में मौजूद है।
ऊं तत्सत…
