नदी के किनारे एक विशाल शमी का वृक्ष था और बगल में एक बांस का पेड़ भी था। बांस हवा के बहाव की दिशा में झुक जाता, लेकिन शमी का वृक्ष दृढ़ता से खड़ा रहता। एक दिन नदी में भयंकर बाढ़ आयी। प्रवाह प्रचंड था। शमी कर विशाल वृक्ष की जड़ों के नीचे की मिट्टी को लहरों ने काटना शुरु कर दिया और देखते-देखते वृक्ष उखड़ गया।
उधर, बांस का पेड़ भी उसी वक्त बाढ़ से जूझा, जब बाढ़ का प्रभाव तेज हुआ, तो वह झुक गया और मिट्टी की सतह पर लेट गया। बाढ़ का पानी उसके ऊपर से गुजर गया। बाढ़ उतरने पर बांस का पेड़ सुरक्षित था। मित्रों, यह प्रसंग हमें सिखाता है कि अहंकार, अक्खड़ और अदूरदर्शिता से हमारा सर्वनाश हो सकता है, जबकि विनम्रता के साथ समय से तालमेल बिठाकर चलने हम बड़ी से बड़ी मुसीबत से उबर आते हैं।
ऊं तत्सत…
