जाने किस किस का ख्याल आया है,
इस समुंदर में उबाल आया है।
एक बच्चा था हवा का झोंका,
साफ पानी को खँगाल आया है।
एक ढेला तो वहीं अटका था,
एक तू और उछाल आया है।
कल तो निकला था बहुत सज-धज के,
आज लौटा तो निढाल आया है।
ये नजर है कि कोई मौसम है,
ये सबा है कि वबाल आया है।
हम ने सोचा था जवाब आएगा,
एक बेहूदा सवाल आया है।
■ दुष्यंत कुमार