श्रीकृष्ण जब महाभारत के युद्ध के बाद लौटे, तो रुक्मिणी ने कुछ नाराज होकर उनसे पूछा, “आपने द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह जैसे धर्मपरायण लोगों के वध में क्यों साथ दिया?” इस पर श्रीकृष्ण बोले- देवी ये सही है कि वे दोनों धर्मपरायण थे और दोनों ने ही पूरे जीवन धर्म का पालन किया, लेकिन उनके […]
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व्यंग की बौछार
प्रेम की भाषा
बेबाक़ हस्तक्षेप
साहित्यिक झरोखा:आदर्श प्रेम के रचयिता ‘मंझन
विक्रम धँसा प्रेम के बारा । सपनावति कहँ गयउ पतारा॥ मधुपाछ मुगधावति लागी । गगनपुर होइगा बैरागी॥ राजकुँवर कंचनपुर गयऊ । मिरगावती कहँ जोगी भयऊ॥ साधो कुँवर ख्रडावत जोगू । मधुमालति कर कीन्ह बियोगू॥ प्रेमावति कह सुरबर साधा। उषा लागि अनिरुधा बर बाँधा॥ सूफियों के अनुसार, यह सारा जगत् एक ऐसे रहस्यमय प्रेमसूत्र में बँधा […]