एक नौजवान शिष्य ने एक दिन अपने गुरु से प्रश्न किया, “गुरुजी एक बात समझ नहीं आती, आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं! आपके वस्त्र देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं, जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है?”गुरुजी मुस्कुराये, फिर उन्होंने अपनी अंगुली से एक […]
काशी सत्संग : अवसर की परख
काशी सत्संग : मां जैसा कोई नहीं
काशी सत्संग : बुराई का अंत
काशी सत्संग : समस्या नतमस्तक
काशी सत्संग : मैं न होता, तो…
घुमक्कड़ साथी
हर ठौर गुजरी आहिस्ते सेहंसती-खिलखिलाती रुककर खींचती अंगड़ाइयां लेते‘सिफ़र’ कई और सफर है तुझी से रूबरूसाथ ही रहना ऐ जिंदगी; हमसफ़र बनकर… ‘मिर्जापुर’ बड़ा ही दिलचस्प जिला है; बनारस से लगभग 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में मां गंगा के किनारे बसा मुख्य शहर और बीहड़ पहाड़ियों में छोटे-बड़े बसे अनगिनत बस्तियों वाला। चट्टानों से अठखेलियां करते […]