एक गांव में एक वैद्य रहता था। दवा लेने के लिए कई लोग उसके पास आते रहते, लेकिन एक दफा उसकी दवा के खाने से दो-तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद कोई व्यक्ति उस वैद्य से इलाज करवाने नहीं आता था। ऐसे में, वैद्य को भूखे ही सोना पड़ता था।
एक दिन एक दूसरे गांव में जाने के बाद भी वैद्य को कोई रोगी नहीं मिला, तो घर लौटने से पहले वह आराम करने के लिए एक पेड़ की छांह में बैठ गया। उस वृक्ष के कोटर में एक विषैला नाग रहता था।
उसे देखकर वैद्य के मन में एक विचार आया कि यह नाग अगर किसी व्यक्ति को काट ले, तो संभव है कि इलाज के लिए कोई न कोई रोगी मिल ही जाएगा। वैद्य ने देखा कि कुछ ही दूरी पर, कुछ बच्चे खेल रहे थे।
वैद्य ने उन बच्चों को बुलाया और कहा कि देखो इस पेड़ के उस कोटर में मैना रहती है। बच्चे खुश हो गए। उन्होंने मैना की चाह में, उस पेड़ पर चढ़कर उस कोटर में हाथ डाल दिया। जिस बच्चे ने उस कोटर में हाथ डाला, उसके हाथ में नाग की गरदन आ गई। बच्चे ने तुरंत उसे नीचे की ओर फेंक दिया।
नीचे कुछ बच्चों के साथ वैद्य भी खड़ा था। नाग सीधे, उसी वैद्य के ऊपर गिर गया और उसे कई जगहों पर काट लिया। जिसके कारण उसकी तुरंत मृत्यु हो गई।
मित्रों, इस प्रसंग का सार यह है कि जो व्यक्ति दूसरों के लिए गड्डा खोदता है, वह खुद ही उसमें गिर जाता है।
ऊं तत्सत…
