श्रावस्ती में विदेहिका नाम की एक धनी स्त्री रहती थी। वह अपने शांत और सौम्य व्यवहार के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध थी। वेदेहिका के घर में एक नौकर था। नौकर अपने काम और आचरण में बहुत कुशल और वफादार था। एक दिन उसने सोचा,’सभी लोग कहते है कि मेरी मालकिन बहुत शांत स्वभाव वाली है और उसे कभी क्रोध नहीं आता, यह कैसे संभव है! शायद मैं अपने काम में इतना अच्छा हूं, इसलिए वह मुझ पर कभी क्रोधित नहीं हुई। मुझे यह पता लगाना होगा कि वह क्रोधित हो सकती है या नहीं।’
अगले दिन वह काम पर कुछ देरी से आया। विदेहिका ने जब उससे विलम्ब से आने के बारे में पूछा, तो वह बोला,’कोई खास बात नहीं।’ विदेहिका ने कुछ कहा तो नहीं, परर उसे नौकर का उत्तर अच्छा नहीं लगा। दूसरे दिन नौकर थोड़ा और देर से आया। विदेहिका ने फिर उससे देरी से आने का कारण पूछा। नौकर ने फिर से जवाब दिया, ‘कोई खास बात नहीं।’ यह सुनकर विदेहिका बहुत नाराज हो गई, लेकिन वह चुप रही। तीसरे दिन भी यही हुआ, तो मारे क्रोध के विदेहिका ने नौकर के सिर पर डंडा दे मारा। उसके सिर से खून बहने लगा और वह घर के बाहर भागा। यह बात आग की तरह फैल गई और विदेहिका की ख्याति मिट्टी में मिल गई। मित्रों, कठिन परिस्थितियों में भी जो दृढ़ रहता है, वही अपनी बुराइयों से ऊपर उठ सकता है।
ऊं तत्सत…
