एक दिन एक सूफ़ी संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। तभी एक आदमी वहां से एक गाय को जबरदस्ती खींचता हुआ निकला। यह देखकर संत ने अपने शिष्यों से पूछा– “तुम्हारे विचार में कौन किससे बंधा है?” उसके शिष्यों ने जवाब दिया कि स्पष्टतया गाय ही उस आदमी से बंधी है।
संत ने फिर पूछा –“अच्छा यह बताओ, कौन किसका मालिक है?” सब शिष्य इस अजीब से प्रश्न पर हंसने लगे और बोले कि वह आदमी ही मालिक है और कौन? गाय तो पशु है, वह मनुष्य की स्वामिनी कैसे हो सकती है?”
“अच्छा, यह बताओ कि अगर रस्सी को तोड़ दिया जाए, तो क्या होगा”, संत ने पूछा।
शिष्यों ने उत्तर दिया– “तब तो गाय भागने की कोशिश करेगी।”
“और फिर उस आदमी का क्या होगा?” संत ने अगला प्रश्न किया।
“स्पष्ट रूप से तब तो यह आदमी गाय का पीछा करेगा, गाय के पीछे -पीछे भागेगा,” तुरंत जवाब आया।
जैसे ही शिष्यों ने यह जवाब दिया, वे समझ गए कि कौन किससे बंधा है?
आज के परिपेक्ष्य में यदि हम विचार करेंगे, तो आधुनिकता ने हमारे चारों तरफ मोबाइल, कार, लैपटॉप, टीवी…विलास की जाने कितनी ही वस्तुएं परोस दी हैं। अब तय हमें करना है कि जरूरत के मुताबिक हम उनका इस्तेमाल करें, न कि उन पर पूरी तरह निर्भर होकर उनके गुलाम बन जाएं!
ऊं तत्सत…
